इतिहास

                                    
 

इतिहास पीयर्स-एरो – एक सुविख्यात नाम का इतिहा



ीयर्सएरो मोटर कार कंपनी की स्थापना1901मे हुई थी और वह 1938 तक संयुक्त राज्य अमेरिका के राज्य न्यू-यॉर्क मे बफेलो मे विलासपूर्ण वाहन बनाती थी, जो केवल उनकी बनावट से ही नही, परन्तु नयी तकनीक से भी प्रभावित करते थे>जॉर्ज एन. पीयर्स ने सबसे पहले एक सिलेंडर वाले वाहनो और मोटर-साइकिलों के साथ उत्पादन शुरु किया. लेकिन कुछ ही सालों के पश्चात् पीयर्स-एरो मोटर कार कंपनी ने चार सिलिंडर वाली मोटर-साइकिलें और विलासिता से सुसज्जित वाहन बनाये. ये “पीयर्स ग्रेट एरोज़” के नाम से भी जाने जाते थे और पहले पहले की छ: सिलिंडर और 13 लीटर की सिलिंडर क्षमता वाली मोटरें एक लोकोमोटिव को भी चलाने मे करीब समर्थ थीं. इस तरह यह एक पीयर्स एरो ही थी जिसने 1905 मे पहली ग्लिडन टूर और उसके पश्चात् की लगभग सभी दौड़ें जीतीं. 1912 मे पीयर्स-एरो ने क्रमिक प्रकार की सबसे बड़ी मोटर बनायी जिससे कभी भी किसी कार को चलाया गया: 13514 सीसीएम की सिलिंडर क्षमता के साथ 66 एच.पी. (66 सी.वी.) वाला मॉडल. 1914 मे पीयर्स-एरो ने सबसे पहली कार बनायी जिसमे कि सामने वाली हैड-लाइट्स बगल के पंकरोक में समावेशित थीं. 1925 मे पीयर्स-एरो मोटर कार कंपनी ने सबसे पहली एल्युमिनियम ढाँचे (बॉडी) वाली कार बनायी. 1933 मे बनायी गयी “सिल्वर एरो” जिसमे कि सर्वश्रेष्ठ भीतरी सुसज्जा थी और जो दिखने मे एक अद्वितीय रूप से सुरुचिपूर्ण थी, निसंदेह तकनीकी विकास के शीर्ष को दिखलाती थी. 1935 मे पहली कार बनायी गयी, जिसमे कि कार के सामने के हिस्से मे डब्बल हैड-लाइट्स थीं. पिछली सदी के पहले दशकों मे पीयर्स-एरो एक बहुत ही मान्य और देखने लायक कार थी. पीयर्स-एरो ब्रांड के वाहन स्वर्णिम 20 के दशक के सालों मे केवल उच्च समाज की शान के निशान थे जिनको लेखक एफ. स्कॉट फिट्जिराल्ड ने अपने उपन्यास “ दि ग्रेट गेट्सबी” मे एक साहित्यिक यादगार बना दिया. सुसज्जा, देखने और निर्भरता मे ये वाहन विलासिता वर्ग की यूरोपीय हर कार के बराबर माने जाते थे. लगभग सभी नामी विलासिता कार निर्माताओं की तरह, जैसे कि उदाहरणपूर्वक मेबाख को भी, पीयर्स-एरो को 1938 के विश्व आर्थिक संकट के कारण अपना उत्पादन बंद करन पड़ा.


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